केकड़ी 12 जून (पब्लिक बोलेगी न्यूज़ नेटवर्क)।*
*आकाश से बरसने वाला पानी किसी व्यक्ति विशेष का नहीं होता। वह ऊंचे-नीचे सभी स्थलों पर समभाव के साथ बरसता है, ठीक इसी प्रकार वीतराग वाणी भी किसी व्यक्ति विशेष या संप्रदाय विशेष से आबद्ध नहीं है, वरन सभी के लिए है। पतित पावनी, प्रभु वाणी का वर्षण सभी के लिए समान रूप से होता है। ग्रहण करने वाले की भिन्नता के कारण प्रभु वाणी की परिणति में भिन्नता आती है। मेघ के पानी में जो स्वच्छता व निर्मलता होती है, उससे भी विलक्षण प्रकार की स्वच्छता व निर्मलता वीतराग वाणी में होती है। यह बात श्रुत संवेगी मुनि आदित्यसागरजी महाराज ने बुधवार को दिगम्बर जैन चैत्यालय भवन में ग्रीष्मकालीन प्रवचनमाला के अंतर्गत प्रवचन करते हुए कही।*
*उन्होंने कहा कि बरसात का पानी सभी के लिए समान रूप से बरसता है। उस पानी में किसी के प्रति भेदभाव की मलीनता नहीं होती है। उसी प्रकार जिनवाणी भी सभी के लिए समान रूप से बरसती है। भगवान महावीर की वीतराग वाणी जनकल्याण के साथ-साथ सभी को तारने वाली, संसार सागर के दल-दल से उबारने वाली, राग द्वेष को मिटाने वाली, आत्मा के समभाव को प्रकट कराने वाली तथा मोक्ष के सभी सुखों को प्रदान कराने वाली है।*
*उन्होंने कहा कि उपकारी के उपकार को कभी नही भूलना चाहिए, मगर उपकार करके, उपकार को जरूर भूल जाना चाहिए अर्थात नेकी कर दरिया में डाल। उन्होनें कहा कि यदि मन का झरना शुद्ध है, तो जीवन के तालाब में कभी कीचड़ जमा नहीं होता। इससे फर्क नहीं पड़ता कि कौन कहां, कैसा है। प्रकृति का यही उसूल है कि वक्त जिसका होता है, दुनिया उसी की हो जाती है। इसलिए सबको अपना बनाने की अपेक्षा, वक्त को अपना बनाना सीखे। समय जब अपने पर आता है, तब जज को भी वकील के पास जाना पड़ता है।*
*धर्मसभा के प्रारम्भ में अनिल कुमार, मुकेश कुमार, सुनील कुमार, चंद्रप्रकाश व अनुज छाबड़ा परिवार ने आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज के चित्र का अनावरण कर दीप प्रज्वलन किया तथा पदमचंद, सुभाषचंद, मुकेश कुमार व दैविक गदिया परिवार ने मुनिसंघ के पाद प्रक्षालन कर उन्हें शास्त्र भेंट किये।*
Author: Public bolegi News Network
PK Rathi-Journalist