केकडी 17 मार्च(पब्लिक बोलेगी न्यूज़ नेटवर्क)
निजी को निज तथा पर को पर मानो तो सुख ही सुख है, इसके विपरीत निज को पर तथा पर को निज मानो तो अनंत दुःख है ।
श्री नेमिनाथ दिगंबर जैन मंदिर , बोहरा कॉलोनी में मुनिश्री शुभम सागर व मुनिश्री सक्षम सागर महाराज ने अपने प्रवचन के दौरान कहे ।
मुनि श्री ने गीत “कोई किसी का नहीं.. झूंठे है नाते नातों का क्या..” सुनाकर कहा कि लोग झूंठे रिश्ते नातों के मोह में पड़कर पाप कर्म करता है , बाप अपने बेटे के लिए क्या क्या पापकर्म नहीं करता है, वो ही पुत्र बुढ़ापे में पिता के साथ क्या करता है यह किसी से छुपा हुआ नहीं है, मानव अकेला आता है व अकेला ही जाता है,पति,पत्नी,भाई, बहिन कोई रिश्तेदार मरण के समय उसके साथ नहीं जाता है, पुत्र को भी अपने पिता को अंतिम समय मे अग्नि को सुपुर्द करना ही पड़ता है।
अतः मानव जीवन को अपनी आत्मा को परमात्मा से मिलाने के लिए रिश्ते नाते का मोह छोड़, काम ,क्रोध ,लोभ का त्याग कर अच्छे कर्म करने चाहिए जिससे उसका अगला भव सुधर सके ।
मनुष्य की भाव स्थिति व वनस्पति की काय स्थिति के बारे में बताया कि मानव जन्म लेता है व अंत समय तक पुरुषार्थ करते हुए मरण को प्राप्त होता है जिसे भाव स्थिति कहा जाता है ।
वनस्पति खत्म होकर बार बार वनस्पति के रूप में पैदा होना काय स्थिति कहलाती है।
श्री नेमिनाथ जैन मंदिर बोहरा कॉलोनी में आज अल्प प्रवास के लिए पधारे आचार्य सुनील सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि शुभम सागर व मुनि सक्षम सागर महाराज ने अपने प्रवचन के दौरान कहे ।
समाज के महिला व पुरूषों ने ढोल बाजे के साथ मुनिसंघ का स्वागत किया ।
समाज के लोगों ने मुनिश्री को अष्टानिका पर्व में केकडी प्रवास के लिए श्रीफल भेंट किया ।
Author: Public bolegi News Network
PK Rathi-Journalist