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एम एल डी में हुआ 14 वर्षीय तीरंदाजी का समापन*

केकडी 12 सितम्बर(पवन राठी)*
*श्री मिश्रीलाल दुबे उच्च माध्यमिक अकादमी, केकड़ी के संयोजन में 68 वीं  जिला स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता 2024-25  14 वर्षीय छात्र-छात्रा तिरंदाजी  में छात्र वर्ग में 7 टीम और छात्रा वर्ग में 5 टीमो ने भाग लिया इंडियन राउंड में 16 छात्र, 14 छात्रा तथा रिकवर राउंड में 11 छात्र, 9 छात्रा कुल दोनों राउंड में 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया जिसमें 20 मीटर व 30 मीटर इंडियन राउंड में छात्र वर्ग में प्रथम स्थान अर्जुन चौधरी, द्वितीय स्थान  आर्यव शर्मा, तृतीय स्थान  दिलखुश तेली, चतुर्थ स्थान लवली खटीक, छात्रा वर्ग में प्रथम स्थान शिवांगी, द्वितीय स्थान साक्षी साहू, तृतीय स्थान कृष्णा सेन, चतुर्थ स्थान कोमल रेगर ने प्राप्त किया  रिकवर 50-50 मीटर में प्रथम स्थान केशव, द्वितीय स्थान हरिओम,तृतीय स्थान अमन, चतुर्थ स्थान प्रदीप सिंह ने छात्रा वर्ग में प्रथम स्थान गुलशन द्वितीय स्थान रोशनी तृतीय स्थान नाजमिन,चतुर्थ स्थान रोनक ने प्राप्त किया सभी खिलाड़ियों को एम एल डी संस्थान के सचिव चंद्र प्रकाश दुबे, डॉ.अविनाश दुबे, अनिरुद्ध दुबे ने प्रथम स्थान को गोल्ड मेडल, द्वितीय स्थान को सिल्वर मेडल, तृतीय स्थान को ब्रॉन्ज मेडल पहनाकर  तथा चतुर्थ स्थान को मोमेंटो से सम्मानित किया यह प्रतियोगिता तकनीकी सलाहकार एवं सचिव (छात्र-छात्रा) शारीरिक शिक्षक  वीरेंद्र सिंह राठौड़, सदस्य (छात्र वर्ग) शा. शि. सद्दाम हुसैन, सदस्य (छात्रा वर्ग)शा. शि. रेणुका सिंघवी  और निर्णायक शा. शि. रणजीत गुर्जर आदि ने दिनांक 8 सितंबर 2024 से 12 सितंबर 2024 तक जिला स्तरीय तीरंदाजी खेल प्रतियोगिता  का सफल आयोजन कर  राज्य स्तरीय प्रशिक्षण शिविर हेतु उत्कृष्ट उदयीमान खिलाड़ियों का चयन किया साथ ही शा. शि. तीरंदाजी विशेषज्ञ सत्यनारायण जोशी का भी इस प्रतियोगिता में  योगदान रहा l इस प्रतियोगिता के अध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य नरेंद्र कुमार पारीक ने  सभी प्रतिभागियों, चयन समिति के निर्णायक मण्डल,सदस्य एवं शारीरिक शिक्षकों का 14 वर्षीय तीरंदाजी खेलकूद प्रतियोगिता के सफल आयोजन हेतु आभार व्यक्त किया l और कहां की एक कुशल तीरंदाज बनने के लिए लगातार अभ्यास की आवश्यकता होती है। यदि आप हर रोज़ अभ्यास नहीं कर सकते, तो सप्ताह में कुछ बार अभ्यास करने का लक्ष्य निर्धारित करें।तीरंदाज अपनी सांस, एकाग्रता और प्रदर्शन की नसों को नियंत्रित करके इस क्षमता को विकसित करते हैं।  तीरंदाजी शुरू में शिकार के लिए और फिर बाद में युद्ध के लिए एक तकनीक के रूप में उभरी।**

Public bolegi News Network
Author: Public bolegi News Network

PK Rathi-Journalist

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