*केकडी 27 नवंबर (पवन राठी)*
*राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग का विवादों से लगता है चोली दामन का साथ है।खुद विभाग ही अपने तुगलकी फरमानों के जरिये शिक्षकों* *और उनके विभिन्न संगठनों को उकसा कर आंदोलनों के लिए बाध्य करता है।ऐसा इसलिए लिख रहा हु क्योंकि हाल ही में विभाग द्वारा अर्धवार्षिक परीक्षाओं की तारीख 17 दिसंबर से 27 दिसंबर 2024 घोषित की गई है।पूर्व में ही विभाग द्वारा शिविरा में 25 दिसंबर2024 से 5 जनवरी 2025 तक शीतकालीन अवकाश घोषित किये हुए है।*
*लगता है शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के शोषण करने की ही ठान रखी है और इसके लिए शिविरा कैलेंडर का ब्रह्मास्त्र के रूप में जब चाहे दुरुपयोग करने से भी बाज नही आ रहा।*
*दूसरी और राज्य सरकार और उसके शिक्षा मंत्री मूक दर्शक तमाशबीन बने बैठे यह सब तमाशा देख रहे है और पारदर्शी प्रशासन का ढोल पीट रहे है।यदि सरकार जरा भी संवेदनशील होती तो अब तक संबंधित अधिकारियों पर एक्शन ले चुकी होती।*
*इस संबंध में राधाकृष्णन संघ के प्रदेशाध्यक्ष विजय सोनी से बात हुई उसके अंश प्रस्तुत है:-*
*अर्धवार्षिक परीक्षा 17 दिसंबर से 27 दिसंबर तक*
जबकि
*शिविरा पंचांग में 25 दिसम्बर से 5 जनवरी शीतकालीन अवकाश घोषित किया हुआ है।*
*इसका तात्पर्य यह हुआ कि शीतकालीन अवकाश के दो दिवस अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं के कारण कम हो गए हैं ।*
*ऐसे में शिक्षक असमंजस की स्थिति में है कि अब शीतकालीन अवकाश किस दिनांक से होंगे,*
*क्या इन दो दिवसों को आगामी दिनों में बढ़ाया जाएगा अर्थात 5 जनवरी के आगे अवकाश किए जाएंगे या शीतकालीन अवकाश को कम कर दिया जाएगा ।*
*जबकि अभी तक शीतकालीन अवकाश के संशोधन के क्रम में निदेशक का कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है ।*
*गौरतलब है कि शिविरा पंचांग प्रतिवर्ष निदेशक महोदय द्वारा ही जारी किया जाता है और इसी के आधार पर वर्ष भर कार्यक्रम संपादित होते हैं,ऐसे में निदेशक महोदय द्वारा जारी शिविरा पंचांग में घोषित अवकाश दिवस को परीक्षा आयोजित करने के लिए निर्धारित करना विचारणीय प्रश्न है।*
*विशेष:-*
*गौर करने लायक बात है कि शिविरा पंचांग में पहले से ही अर्धवार्षिक परीक्षा 12 दिसंबर से 24 दिसंबर तक पूर्व में घोषित है तो अब 27 तक का टाइम टेबल क्यों कर बनाया गया है..??*
*शिक्षक समुदाय में भ्रम एवम उहापोह की स्थिति उतपन्न करने के जिम्मेदार खुद शिक्षा विभाग के ही उच्च अधिकारी है जो मनचाहे आदेश जारी करके विभाग को एक प्रयोगशाला बनाने पर तुले बैठे है और “दिया तले अंधेरा”की कहावत को चरितार्थ करते ही जा रहे है।*
Author: Public bolegi News Network
PK Rathi-Journalist