मुक्ति की यदि रखते कामना तो खूब कर लो तपस्या व साधना- दर्शनप्रभाजी म.सा.
भीलवाड़ा, 11 सितम्बर(पंकज बाफना) पर्वाधिराज पर्युषण हमारे लिए सबसे बड़ा उत्सव है जिसे तपस्या, सामायिक आराधना, जाप व जिनशासन की भक्ति करते हुए मनाना है। कोई भी श्रावक-श्राविका पर्युषण में धर्म आराधना से वंचित नहीं रहे। अधिकाधिक तपस्या, स्वाध्याय व साधना ही हमारा लक्ष्य इन आठ दिन रहना चाहिए। कर्म निर्जरा करने के लिए पर्युषण पर्व हमारे सबसे उत्तम अवसर है। सभी को स्वयं तपस्या करने के साथ अन्य को भी इसके लिए प्रेरणा देनी है। ये विचार भीलवाड़ा के चन्द्रशेखर आजादनगर स्थित रूप रजत विहार में सोमवार को मरूधरा मणि महासाध्वी श्रीजैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. ने नियमित चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि पर्युषण पर्व मनाने की तैयारियां पूरी हो चुकी है। रूप रजत विहार में प्रथम बार चातुर्मास होने से यह पर्युषण पर्व आराधना का सुअवसर मिला है। पहली बार में ही तपस्या की ऐसी लड़ी लग जाए कि अन्य को भी प्रेरणा प्राप्त हो ओर कहे उठे कि तपस्या ओर साधना का माहौल तो ऐसा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्वाधिराज पर्युषण में नियमित प्रतिक्रमण के साथ सुबह अंतगढ़ सूत्र का वांचन भी श्रवण करना है। मधुर व्याख्यानी दर्शनप्रभाजी म.सा. ने कहा कि पर्वाधिराज पर्युषण में सभी को तपसाधना के माध्यम से अपनी आत्मा की सफाई करने ओर जिनशासन की आराधना करने का सुनहरा अवसर मिला है। जो इस अवसर का भी लाभ नहीं उठाएगा वह जन्म-जन्मांतर के चक्र से मुक्ति नहीं पा सकता। पर्युषण पर्व में की जाने वाली धर्मसाधना व तपस्या हमे चारों गतियों के चक्कर से मुक्ति की राह पर आगे बढ़ाती है। अब ये हमे स्वयं तय करना है कि हम मुक्ति की राह पर आगे बढ़ना चाहते है या सांसारिक मोहमाया के जाल में ही फंसे रहना चाहते है। पर्युषण पर्व में जो जागृत रहकर धर्म आराधना करेगा वह पुण्यार्जन करने के साथ अपने पाप कर्म भी क्षय करेगा। अतिथियों का स्वागत श्री अरिहन्त विकास समिति द्वारा किया गया। धर्मसभा में भीलवाड़ा शहर एवं आसपास के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।
रूप रजत विहार में कल से पर्वाधिराज पर्युषण की आराधना
पर्युषण पर्व में कल से प्रतिदिन विशेष प्रवचन एवं प्रतियोगिताएं
चातुर्मास में 12 से 19 सितम्बर तक मनाए जाने वाले अष्ट दिवसीय पर्वाधिराज पर्युषण पर्व की तैयारियां शुरू कर दी गई है। जप, तप व भक्ति की भावना के साथ मनाए जाने वाले पर्युषण पर्व में प्रतिदिन अलग-अलग दिवस मनाने के साथ धार्मिक भावना से ओतप्रोत प्रतियोगिताएं होगी। श्री अरिहन्त विकास समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र सुकलेचा ने बताया कि पर्युषण में प्रतिदिन सुबह 8.30 बजे से अंतगड़ सूत्र का वांचन, सुबह 9.30 बजे से प्रवचन एवं दोपहर 2 से 3 बजे तक कल्पसूत्र का वांचन होंगा। प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से विभिन्न प्रतियोगिताएं होगी। प्रतिदिन अलग-अलग विषय पर प्रवचन होंगे। इसके तहत 12 सितम्बर को जैनों की पहचान, 13 को सफल जीवन के सूत्र, 14 को व्यस्त जीवन में धर्म कैसे करे, 15 खुशहाल परिवार जीवन का आधार, 16 को आधुनिक नहीं आध्यात्मिक बने, 17 को नशा नाश का कारण, 18 को वाणी को मधुर कैसे बनाएं विषय पर प्रवचन होंगे। संवत्सरी पर 19 सितम्बर को मैत्री दिवस एवं सामूहिक क्षमायाचना विषय पर प्रवचन होंगे। इसी तरह प्रतिदिन प्रतियोगिता के तहत 12 सितम्बर को आनुपूर्वी, 13 को जोड़ी बनाओ(लिखित), 14 को दम्सराज प्रतियोगिता, 15 को तीर्थ कर के नाम खोजो, 16 को हाव-भाव प्रतियोगिता, 17 को जैन हाउजी, 18 को दिमागी कसरत (लिखित) प्रतियोगिता होगी। संवत्सरी पर विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा।पर्युषण पर्व के दौरान ही 17 सितम्बर को पूज्य प्रवर्तक पन्नालालजी म.सा. की 135वीं जयंति पर भिक्षु दया का आयोजन किया जाएगा। इसी तरह 18 सितम्बर को श्रमण संघीय आचार्य सम्राट डॉ. शिवमुनिजी म.सा. की जयंति पर ध्यान साधना का आयोजन कराया जाएगा।
पर्युषण करे तपस्या ओर सामायिक साधना के नाम
पर्युषण अवधि में तपस्या ओर सामायिक के लिए डायमण्ड, गोल्डन व सिल्वर कूपन भी जारी किए गए है। पर्युषण में उपवास की अठाई पर डायमण्ड, आयम्बिल की अठाई पर गोल्डन व एकासन की अठाई करने की भावना रखने वाले को सिल्वर कूपन दिया जा रहा है। इसी तरह पर्युषण पर्व के दौरान 108 सामायिक पर डायमण्ड, 81 सामायिक पर गोल्डन एवं 51 सामायिक करने की भावना रखने वालों को सिल्वर कूपन दिया गया है। प्रत्येक श्रावक-श्राविका कोई न कोई कूपन अवश्य प्राप्त करें इसकी प्रेरणा साध्वीवृन्द द्वारा दी गई हैै। आठ दिन संवर ओर पोषध करने की भी प्रेरणा दी गई है।
Author: Public bolegi News Network
PK Rathi-Journalist