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*केकड़ी में दीपावली और लक्ष्मी पूजन 1 नवंबर को*

*केकडी 17 अक्टूबर(पवन राठी)*
*भगवान श्री चारभुजा नाथ मंदिर के कथा व्यास और विभिन्न मंदिरों के पंडितों की बैठक में पंचांग को आधारभूत मानकर 1 नवंबर को प्रदोष व्यापिनी अमावस्या को ही दीपावली के लिए माना प्रमाण।*

*इस वर्ष दीपावली को लेकर बन रही असमंजन की स्थिति के बीच केकड़ी के अति प्राचीन भगवान श्री चारभुजा नाथ मंदिर के कथा व्यास और विभिन्न मंदिरों का पंडितों के द्वारा बैठक कर पंचांग को आधार मानकर 1 नवंबर को पड़ रही प्रदोष व्यापिनी अमावस्या को दीपावली और लक्ष्मी पूजन के लिए प्रमाणित माना गया है। 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को प्रदोष व्यापिनी अमावस्या होने से इस तरह की असमंजस की स्थिति सामने आई हैं, जिस पर केकड़ी के पंडितों ने बैठक कर विभिन्न पंचांगों के माध्यम से दिए गए तर्क पर चर्चा कर 1 नवंबर को पड़ रही प्रदोष व्यापिनी अमावस्या को ही दीपावली पर्व मनाए जाने की पुष्टि की है। इस तरह से केकड़ी में 1 नवंबर को ही दीपोत्सव पर्व और माता महालक्ष्मी का पूजन होगा। चारभुजानाथ मंदिर के कथा व्यास और ज्योतिषाचार्य पंडित मुरलीधर दाधीच की अध्यक्षता में यह बैठक आयोजित की गई। इस महत्वपूर्ण बैठक में सभी पंडितों और विद्वतजन ने पंचांगों में 1 नवंबर को पड़ रही प्रदोष व्यापिनी अमावस्या को लेकर तर्क देते हुए इसी दिन की प्रदोष व्यापिनी अमावस्या को आधार माना और इसी दिन दीपावली का त्योहार और महालक्ष्मी पूजन किया जाने पर सहमति व्यक्त की। उल्लेखनीय है कि विभिन्न स्थानों पर 31 अक्टूबर को दीपावली पर्व मनाए जाने को लेकर  निर्णय सामने आया है, उसे लेकर भी बैठक में चर्चा की गई और बताया गया कि 90 फ़ीसदी पंचांग ऐसे हैं जो 1 नवंबर को ही दीपावली पर्व और महालक्ष्मी पूजन किए जाने की पुष्टि कर रहे हैं। 1 नवंबर को जो प्रदोष व्यापी अमावस्या आ रही है, शास्त्रों में दिए गए विभिन्न तर्क के अनुसार वह प्रदोष व्यापिनी अमावस्या ही दीपावली के लिए उपयुक्त है। जब दो दिन प्रदोष व्यापिनी अमावस्या पड़ रही हो तो अगले दिन आने वाली प्रदोष व्यापिनी अमावस्या जिसमें तिथि पूर्ण हो रही हो, वह ही मान्य मानी गई है। इस तरह से 1 नवंबर की अमावस्या तिथि को मान्य बताया गया है। 31 अक्टूबर को दीपावली का त्योहार और महालक्ष्मी पूजन करने का कहीं तर्क आधारित उल्लेख नहीं बताया गया है। कथा व्यास और ज्योतिषाचार्य पंडित मुरलीधर दाधीच, पंडित रामपाल शर्मा, पंडित हितेश व्यास, शिव शक्ति ज्योतिष संस्थान के पंडित रामचरण शास्त्री, भगवान श्री लक्ष्मीनाथ मंदिर के पुजारी हेमंत शास्त्री, पंडित सत्यनारायण शास्त्री, पंडित पुरुषोत्तम शर्मा, पंडित सुनील शर्मा, पंडित घनश्याम पाराशर आदि ने इस बैठक में अपने-अपने विचार व्यक्त करते हुए विभिन्न पंचांगों का हवाला देकर तर्क के साथ एक नवंबर को ही दीपावली पर्व होने की पुष्टि की।*

*1 नवंबर को 6:17 तक अमावस्या प्रदोष व्यापिनी*

*विभिन्न पंचांग में स्पष्ट रूप से दीपावली का त्योहार और महालक्ष्मी पूजन 1 नवंबर को दिया गया है*। *जिसमें बताया गया है कि इस दिन अमावस्या तिथि पूरे दिन और शाम सूर्यास्त के बाद 6:17 तक रहेगी इस तरह से प्रदोष* *व्यापिनी अमावस्या होने की वजह से दीपावली पर इस दिन मनाया जाना पूर्ण रूप से शास्त्र सम्मत है।इस दिन सूर्यास्त शाम 5:40 पर होगा। पंडित हेमंत शास्त्री, पंडित सत्यनारायण शास्त्री, पंडित पुरुषोत्तम शर्मा, पंडित सुनील शर्मा, पंडित घनश्याम पाराशर आदि*
*के द्वारा तर्क दिया गया है कि जब दो दिन प्रदोष व्यापिनी अमावस्या हो तो अगले दिन वाली प्रदोष व्यापिनी अमावस्या ऐसी स्थिति में मान्य होती है जब दीपावली पर्व पड़ रहा हो।*

*क्षेत्र के सर्वाधिक प्रचलित पंचांगों में* *यह उल्लेख*

*जिले में सर्वाधिक लोकप्रिय पंचांग श्रीधरी पंचांग है, जिसमें 1 नवंबर को अमावस्या तिथि एवं दीपावली पर्व का उल्लेख किया गया है वही प्रतिष्ठित पंचांग पंडित बंशीधर ज्योतिष पंचांग में 1 नवंबर को पड़ रही दीपावली को लेकर विस्तार से तर्क सहित उल्लेख किया गया है। इसमें बताया गया है कि अमावस्या दोनों दिन प्रदोष व्यापिनी हो तो अमावस्या दूसरे दिन ही मान्य है। धर्म सिंधु और निर्णय सिंधु में दिए गए शास्त्र वचनों में कार्तिक अमावस्या दो दिन प्रदोष कालीन बनने पर सूर्योदय से सूर्यास्त तक रहने वाली प्रदोष व्यापिनी कम से कम एक घटी वाली अमावस्या के दिन लक्ष्मी पूजन करना श्रेष्ठ बताया गया है। ज्योतिष सम्राट, श्री मार्तंड और जय मार्तंड पंचांग में भी 1 नवंबर को ही दीपावली और लक्ष्मी पूजन किया जाना बताया गया है। कथा व्यास पंडित मुरलीधर दाधीच पंडित और रामपाल शर्मा आदि ने कहा कि शुक्रवार अमावस्या के बीच आए प्रदोष काल में माता लक्ष्मी का पूजन करना श्रेष्ठ है। 1 नवंबर को शुद्ध रूप से प्रदोषकाल है। पंडित रामचरण शास्त्री और पंडित हितेश व्यास ने कहा कि एक घटी से भी ज्यादा समय तक होने से साथ ही स्वाति नक्षत्र के संयोग से दीपावली और लक्ष्मी पूजन 1 नवम्बर शुक्रवार को ही मनाने की शास्त्रोक्त सम्मति से पुष्टि होती है। अयोध्या, राजधानी दिल्ली सहित विभिन्न क्षेत्रों में तथा केकड़ी के आसपास के विभिन्न जिलों में भी 1 नवंबर को दीपावली पर्व और महालक्ष्मी पूजन को पंचांग आधारित मानते हुए मनाए जाने की पुष्टि की जा रही है।*

इनका कहना है कि*

*जगद्गुरु रामानंदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रवक्ता शास्त्री कौशलेंद्र दास ने केकड़ी में लिए गए इस निर्णय को लेकर कहा है कि शास्त्र सम्मति से यह निर्णय पूर्ण रूप से सराहनीय है और 1 नवंबर को ही दीपावली पर्व एवं लक्ष्मी पूजन पंचांगों में प्रमुख रूप से दिया गया है। ऐसे में केकड़ी के पंडितों के द्वारा सही समय पर उचित निर्णय लिया गया है।*

Public bolegi News Network
Author: Public bolegi News Network

PK Rathi-Journalist

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